लेखनी प्रतियोगिता -30-Apr-2022 तुम मेरे हो
" तू मेरा ही बेटा है मै तुझे किसी को नहीं सौप सकती हूँ। मै तेरे बिना एक पल भी जिन्दा नहीं रह सकती हूँ। तू तो मेरी जान है । तुझे मुझसे दुनियाँ की कोई भी ताकत अलग नहीं कर सकती है।" तनू अपने बेटे आकाश को अपनी छाती से चिपका कर नींद में बड़ बडा़ रही थी।
तनू की मम्मी ने उसे जगाया और बोली ,"तनू तू यह नींद में क्या बोल रहीहै। आकाश तेरा ही है और तेरे पास ही रहेगा । तुझसे उसे कोई नहीं लेजा सकता है। "
आज आकाश का फैसला होना था कि वह अब किसके पास रहेगा। मम्मी के पास रहेगा अथवा अपने पापा के पास ।पापा के पास ही रहने के ज्यादा चान्श था क्यौकि नवीन ने महगा वकील किया था दूसरी मजबूत तर्क यह थी कि तनू के पास कमाई का कोई साधन नही था। जब कि नवीन ने उसको पालने के लिए घर पर ही एक आया रखी हुई थी।
नवीन ने कोर्ट मे आया को भी पेश किया था । इसलिए इस केस का फैसला नवीन के फेवर में ही आने का चान्श था।
आज तनू को समय से आकाश को लेकर कोर्ट पहुँचना था। उसने जल्दी से आकाश को तैयार किया और स्वयं भी तैयार हुई। और दस बजे बजे से पहले ही कोर्ट पहुँच गयी।
नवीन भी कोर्ट परिसर में पहुँच गया था। आज नवीन के चेहरे पर मुस्कान थी क्यौकि उसे आज पक्का भरोसा था कि अब आकाश उसी को मिलेगा। वह अपने साथ आया को भी लाया था।
आज सबसे पहली सुनबाई उनके केस की ही थी आज केवल फैसला सुनाना था क्यौकि सुनवाई तो पूरी होगयी थी।
जज साहब आगये और उन्हौने आकाश को कटघरे में खडा करवा कर उससे पूछा ," बेटे आकाश तुम किस के साथ रहना पसन्द करोगे मम्मी के साथ अथवा पापा के साथ वह बोला मैं आया के साथ जाऊँगा क्यौकि वह मुझे तैयार करके स्कूल लेजाती है वह मुझे खाना खिलाती है।"
छै साल के आकाश से इस तरह की बात सुनकर सभी आश्चर्य चकित होगये।
अब जज की फैसला सुनाने की बारी थी। जज ने आवाज लगाई आर्डर आर्डर ।
इस आवाज को सुनते ही कोर्ट परिसर में शान्ति स्थापित होगयी।
जज साहब फैसला सुनाते हुए बोले," सभी गवाही व वकीलौ की दलीले सुनने के बाद अदालत इस नतीजे पर पहुँची है कि आकाश का भविष्य नवीन के पास अधिक सुरक्षित है क्यौकि तनू के पास आमदनी का कोई साधन नही है जिससे बच्चे की परवरिश करने में दिक्कत होगी ।अतः आकाश को नवीन को सौपने में अधिक भलाई है हाँ तनू हर रविवार को पूरे दिन उसके पास रह सकती है उसे घुमाने लेजा सकती है।
जज के फैसले पर नवीन के चेहरे पर मुस्कान आरही थी वह तनू की तरफ इस तरह निहार रहा था मानो उसे अपनी जीत पर चिडा़ रहा हो। इसके विपरीत तनू के चेहरे पर आकाश को उसे सौपने के कारण चिन्ता के भाव नजर आर रहे थे ।
जिस दिन उनके तलाक का फैसला हुआ था उस दिन से कोर्ट ने आकाश को उसको सौप रखा था।परन्तु अब वह उसे नवीन को सौपना ही होगा।
नवीन से तनू की हालत देखी नही जारही थी उसे उसके ऊपर तरस आने लगा और नजाने नवीन को अचानक क्या हुआ वह अपनी जगह खडा़ होगया और बोला ," मी लार्ड एक मिनट मेरी सुनो मुझे यह फैसला मन्जूर नही है।
नवीन की इस तरह बहकी बात सुनकर उसके वकील को चिन्ता हुई कि इसे क्या होगया।
जज साहब बोले," देखो नवीन जो कहना है वह बिटिनैस बाक्स में आकर कहो।
नवीन बिटिनैस बाक्स में जाकर बोला," मी लार्ड आकाश को तनू को ही सौपदो मै ही उससे रविवार को मिलने चला जाया करूँगा।"
जज साहब ने पूछा," नवीन तुमने कोर्ट का इतना समय क्यौ जाया किया।इसका तुमको हरजाना देना होगा।"
नवीन बोला," मी लार्ड आप तनू की हालत तो देखो वह कितनी परेशान दिख रही है। वह माँ है मैने उसके बेटे को उससे दूर करके एक मा की ममता पर प्रहार किया है। नहीं मुझे नहीं चाहिए आप उसे ही देदो मै उसे उसको खर्चा भी भेज दिया करूँगा। "
अब जज साहब की समझ में भी आगया था कि उनका फैसला वास्तव में गलत था मा की ममता से बडा़ कुछ नही है।।और उन्हौने आकाश को तनू को सौप दिया। साथ ही नवीन को आदेश दिया कि वह हर महीने की पहली तारीख को उसके खाते में दस हजार रुपये भी भेजेगा।
आज तनू आकाश को पाकर भी अपनी हार महसूस कर रही थी । क्यौकि नवीन ने आज एक बार फिर से चुप रहने को मजबूर कर दिया था।
तनू और नवीन की लव मैरिज थी। तनू नवीन को एक शादी में पसन्द आगयी थी तनू की रिश्तेदारी में शादी थी उसमे नवीन अपने दोस्त की शादी मे बाराती बनकर गया था जूते चुराने वाली रश्म पर दौनौ की आ़खे चार हुई और वही से प्यार होगया।
नवीन ने अपने दोस्त की सहायता से तनू का मौबाईल नम्बर हासिल कर लिया और वही से आपस में बाते करना और मलने का सिलसिला शुरू होगया।
तनू के घरवाले इस शादी को तैयार नही थे परन्तु किसी तरह शादी होगयी और कुछ समय बाद आकाश का जन्म होगया।
परन्तु तनू के घरवालौ को नवीन कभी पसन्द नही आया वह हर समय तनू के कान भरते रहते एक दिन किसी बात पर नवीन ने तनछ को थप्पड़ मार दिया उसी दिन तनू अकेली आकाश को लेकर मायके पहुँच गयी।
तनू के मायके वालौ ने इस मौके का फायदा उठाया और तनू को भड़का दिया और यह मामला तलाक तक पहुँच गया। दौनौ अपने अपने अहम में एक दूसरे से अलग होगये कोई भी अपनी भूल की छमा माँगने को तैयार नही था और इन फासलौ का। फैसला तलाक हुआ।
आज तनू को बहुत पछतावा होरहा था क्यौकि नवीन ने आज भी उसके दर्द को समझा और आकाश को उसकी झोली में डालकर जीत हासिल करली।
तनू को अपना फैसला गलत महसूस हो रहा था वह अपनी मम्मी व भाभी के कहने में क्यौ आगयी उनका क्या गया घर तो उसका उजड़ गया।
तनू ने किसीको बिना पूछे ही अपना सामान एक अटैची मे डाला और टेक्सी मंगवाकर सुबह सुबह ही नवीन के घर पहुँच गयी और डोरबैल बजाई।
नवीन की नींद डोरबैल की आवाज से खुलगयी जब उसने गेट खोला तब सामने तनु को देखा तो देखता ही रहगया। उसे यह एक सपना नजर आरहा था।
"अन्दर आने को नहीं कहोगे क्या ?" तनू ने ही पूछ लिया।
" तनू यह घर कल भी तुम्हारा था और आज भी तुम्हारा है देखलो मैने इसमे कुछ नहीं बदला सब कुछ बैसा ही है। यह कहकर नवीन तनू से लिपटकर रोने लगा तनू का भी यही हाल था। आकाश पास में खडा़ सब कुछ देख रहा था।
नवीन उसकी अटैची अन्दर लेआया और आकाश को अपनी गोद मे उठाकर प्यार करने लगा।
जब तनू के घरवालौ ने सुबह तनू व आकाश को नही देखा तब वह सोचने लगे कि तनू सुबह सैर करने गयी होगी। जब वह दस बजे तक नही आई तब उसकी मम्मी ने फौन लगाया और पूछा," तू कहाँ है?"
तनू ने एक छोटा सा जबाब दिया " मै अपने घर हूँ ।"
यह सुनकर वह चुप रहगये अब तनू व नवीन ने पिछले गिला शिकवा भुलाकर अपना घर फिर बसा लिया।
Seema Priyadarshini sahay
02-May-2022 12:35 AM
बहुत खूबसूरत
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Shrishti pandey
01-May-2022 09:42 PM
Nice one
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Kusam Sharma
01-May-2022 03:55 PM
Very very nice
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